छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री माननीय भूपेश बघेल जी को मानव तीर्थ संस्था (द्वारा गांधी विद्या मंदिर) के तरफ से सुश्री डॉ शारदा शर्मा ( अम्बा दीदी), साधन भट्टाचार्य जी, राजेन्द्र वर्मा जी और अवधेश पटेल जी, बेमेतरा ने रोगप्रतिरोधी आयुर्वेदिक औषधि सर्वज्वरहर चूर्ण भेंट किये।
कोरोना प्रभावित जिलो में कोरोनटाइन व्यक्तियों को प्रदान किया जाएगा
कोविड-19 वैश्विक महामारी से पूरे विश्व में मानव जाति पीडि़त है। ऐसे में शरीर को स्वस्थ बनाये रखने में उसके प्राकृतिक रोग प्रतिरोधक प्रणाली की भूमिका महत्वपूर्ण हो जाती है। इस रोग में बचाव ही सबसे अच्छी चिकित्सा है। सभी जानते है कि कोविड-19 महामारी की कोई दवा अभी तक नहीं बनी है। अतः इस रोग से बचने के लिए रोगप्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने के उपाय करना ही बेहतर है। कोरोना महामारी की भयावह परिस्थिति को देखते हुए नागरिकों की सुरक्षा व रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाने हेतु छत्तीसगढ के मुख्यमंत्री श्री भुपेश बघेल जी को गांधी विद्या मंदिर व्दारा संचालित मानव तीर्थ संस्था बेमेतरा व्दारा उनके परिवार व मुख्यमंत्री निवास के समस्त कर्मचारियो के लिये भेंट किया गया।इस अवसर में मुख्यमंत्री ने कहा कि रोगप्रतिरोधक क्षमता बढाने हेतु भारत सरकार आयुष विभाग एवं छत्तीसगढ सरकार आयुर्वेद के प्रयोग के लिये गाइडलाइन जारी किया गया है। इस सर्वज्वरहर चूर्ण के सभी अवयव इस गाइडलाइन को पुरा करता हैं। इसका कोई विपरीत प्रभाव शरीर में नहीं पड़ेगा। इस रोगप्रतिरोधक आयुर्वेदिक औषधि सर्वज्वरहर चूर्ण को सर्वाधिक कोरोना प्रभावित जिलो के कोरोटांइन में रखे हुए व्यक्तियों को शासन व मानव तीर्थ संस्था के सहयोग से निःशुल्क वितरित किया जाएगा । ज्ञातव्य हो कि यह रोग प्रतिरोधी औषधि सर्वज्वरहर चूर्ण पूर्णतया आयुर्वेदिक हर्बल उत्पाद है जो सभी प्रकार के नए एवं पुराने मियादी बुखार, भूख की कमी, सिर दर्द, श्वॉस पथ में संक्रमण, दुर्बलता, कफ, खांसी में लाभदायक है।यह औषधि भारत सरकार आयुष मंत्रालय द्वारा दिये हुए संस्तुत दिशा-निर्देशो का पालन करता है। इसे गांधी विद्या मंदिर की सह शाखा सेठ भंवरलाल दुगड़ आयुर्वेद विश्व भारती द्वारा आयुष मंत्रालय के निर्देशानुसार अभी 2,25,000 लोगों को सरदारशहर, राजस्थान में पिलाया गया, जिसके अदभूत सकारात्मक परिणाम रहा। इसे नित्य चाय-काफी अथवा अन्य पेय पदार्थों में या सीधे शहद में मिलाकर भी उपयोग में ले सकते है। इस औषधि में मुख्यतः भारतीय रसोई में पाये जाने वाले दैनिक उपयोग के सामान्य आयुर्वेदिक मसालों सौंठ, काली मिर्च, पीपली, लौंग, छोटी ईलायची, बड़ी ईलायची, दाल चीनी, जायफल, जावित्री एवं तुलसी पत्र का औषधीय योग है इसका सेहत पर कोई प्रतिकूल प्रभाव नहीं पड़ता। इसे सब्जी में डालकर भी उपयोग कर सकते है। विशेष लाभ व रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने के लिए एक स्वस्थ आदमी इसका काढ़ा बनाकर सुबह-शाम खाली पेट तीन दिन सेवन करें। एक व्यक्ति को 10 ग्राम का एक पैकेट दिया जा रहा है। जो तीन दिन के लिए पर्याप्त है। यह नुस्खा श्री ए. नागराज (प्रणेता मध्यस्थ दर्शन सह-अस्तित्ववाद) का सर्वशुभ के लिए दिया गया है यह उनके 800 वर्ष पुरानी आयुर्वेद की परिवार परम्परा से मिला है। यह फॉर्मूला श्री ए. नागराज जी द्वारा लिखित पुस्तक आरोग्य शतक में दिया हुआ है। आज माननीय मुख्यमंत्री श्री भुपेश बघेल जी को मुख्यमंत्री निवास में, श्री ए. नागराज की सुपुत्री सुश्री डॉ. शारदा शर्मा (अम्बा दीदी), शिष्य श्री साधन भट्टाचार्य जी, मानव तीर्थ किरीतपुर, समाधान महाविद्यालय के संचालक अवधेश पटेल, लोधी समाज के अध्यक्ष समाजसेवी राजेन्द्र वर्मा ने मुख्यमंत्री को भेंट किये । इस चूर्ण को गांधी विद्या मंदिर मानव तीर्थ के व्दारा बेमेतरा विधायक आशीष छाबड़ा व नवागढ विधायक गुरूदयाल सिंह बंजारे जिला पंचायत सदस्य प्रज्ञा निर्वाणी आदि के माध्यम से 15000 से अधिक पैकेट का निशुःल्क वितरण किया गया है। जिसका सकारात्मक प्रभाव देखा गया है।
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